Relationship poem.... By Sunil Kumar

       रिश्तो के प्रति कविता

मैं,
 सुनील कुमार आपको इस ब्लॉगर के माध्यम से अपनी इस कविता में अपनों से दूर रहकर उनकी आकांक्षा और उनके विश्वास को बनाए रखने के लिए अपने रिश्तो को कभी दूर नहीं कर सकते क्योंकि दूर रहकर भी रिश्ते अपने दिलों में छा जाते हैं, आशाा है की आप सभी को यह कविता अच्छी लगे तो शेयर करें क्योंकि इस कविता का सार भी रिश्तो को बनाए रखने के लिए अहम भूमिका निभाता है, 🙏💕
https://www.facebook.com/suni.kr.75


अपनों के प्रति टूट रहै है रिश्ते बस इसी बात का शोर है 
             कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्तो के प्रति 
                                     रिश्तो पर किसका जोर है
अपनों के प्रति रिश्ते दिल से नहीं टूटते यह मेरा शोर है 
 अपनों के प्रति टूट रहे हैं रिश्ते
                                    बस इसी बात का शोर है!

 अपनों के प्रति रिश्तो की राह किस मोड़ पर आई है
कुछ जाने कुछ अनजाने में रिश्तो में दरार आई है
रिश्तो में दरार कहे शब्दों से आई है दिल से नहीं

क्योंकि सिर्फ कुछ समय लगता है रिश्तो को बिगाड़ने में
वैसे तो पूरी उम्र लग जाती है रिश्तो को सवारने में
क्या सुंदर डोर बनाई है रिश्तो की ऊपर वाले ने
अगर साथ साथ रहे तो महकते गुलाब के फूलों की तरह


 अगर साथ साथ ना रहे तो टूटे हुए कांच के टुकड़ों की तरह
रिश्ते भी क्या गजब होते हैं जो समय के साथ बदलते है
अगर निभा सको तो निभालो वरना रिश्ते भी समय के साथ बदलते है

 अपनों के प्रति रिश्ते कभी अपनों से दूर नहीं जाते
क्योंकि दूर रहकर भी रिश्ते अपने यादों में आ जाते
अपनों के प्रति रिश्ते कभी अपनों से दूर नहीं जाते
क्योंकि दूर रहकर भी रिश्ते अपने दिलों में छा जाते 





Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Relationship with Family👨‍👩‍👧‍👦... By Er. Sunil Kumar

Relationship with society .. By Sunil Kumar